Res. J. Language and Literature Humanities, Volume 3, Issue (2), Pages 1-3, February (2016) |
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Research Paper |
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इमाइल दुर्खीम का समाजषास्त्रीय परिप्रेक्ष्य एक अध्ययन आरती पाण्डे (2016). Res. J. Language and Literature Humanities, 3(2), 1-3.
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Abstract
इमाइल दुर्खीम अपने समय की विचारधारा, घटनाओं और परिस्थितियों दर्पण थे। उनमें झाँक कर देखो और समाज की छवि उजागर हो जायेगी। दुर्खीम ने अपने मनोवांछित सिद्धांतों को व्यवहार में लाकर अपने समय की घटनाओं को व्यवस्थित रूप से रखने का प्रयास किया। समाजषास्त्र को वैज्ञानिक रूप देने का महत्वपूर्ण कार्य इमाइल दुर्खीम द्वारा किया गया है। इमाइल दुर्खीम सबसे पहला व्यक्ति है जो समाजषास्त्र विषय का प्रोफेसर हुआ था। उन्होंने समाज और सामूहिक जीवन को अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान अपने दर्षन में प्रदान किया है। समाजषास्त्रीय जागरूकता के परिप्रेक्ष्य में दुर्खीम निर्विवाद रूप में एक सषक्त हस्ताक्षर के रूप में उभरकर सामने आये। उन्होंने समाजषास्त्र को एक नवीन विज्ञान के रूप में स्थापित करने के साथ-साथ अनेक समाजषास्त्रीय समस्याओं को भी सुलझाने का प्रयास किया। प्रस्तुत लघु आलेख में दुर्खीम के समाजषास्त्रीय दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। |