International E-publication: Publish Projects, Dissertation, Theses, Books, Souvenir, Conference Proceeding with ISBN.  International E-Bulletin: Information/News regarding: Academics and Research

प्राचीन बौद्ध साहित्य और भिख्खुनी संघ

Author Affiliations

  • 1बौद्ध अध्ययन विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय नई दिल्ली, दिल्ली, भारत

Res. J. Language and Literature Sci., Volume 11, Issue (1), Pages 7-13, January,19 (2024)

Abstract

विश्व का इतिहास पुरुषों का इतिहास रहा है, क्योंकि इसे महिलाओं की कोई चर्चा किए बगैर हीं लिखा गया था ! भारत वर्ष की इसी भूमि पर (वर्तमान में लुम्बिनी नेपाल) छठी शताब्दी ईसा पूर्व शाक्य गणराज्य में रानी महामाया के गर्भ से जन्में सिद्धार्थ जब कालान्तर में बोधि प्राप्ति कर तथागत बुद्ध कहलाते हैं। मानवता के कल्याणार्थ बुद्ध संघ की स्थापना के 5 वर्ष उपरान्त उनकी विमाता महापजापती गोतमी जिन्होंने इनकी माता की मृत्यु के उपरान्त बाल्य काल से हीं पालन पोषण किया था। यह विचार कर कि बुद्ध सांसारिक जीवन से अलग रहकर सबों के बीच समानता और करूणा का सन्देश देकर उनके जीवन को जन्म - मृत्यु के भव बंधन से मुक्त करने का मार्ग बता रहे हैं। अब जब मेरे जीवन का कोई उद्देश्य बचा नहीं है तो क्यों न बुद्ध संघ में दीक्षित होकर अपना और नारी समाज का कल्याण करूं। महामानव बुद्ध भिख्खुनी संघ की स्थापना को तैयार हो जाते हैं और गोतमी के साथ आई हुई 500 अन्य महिलाओं को भी बुद्धधम्म में दीक्षित करते हैं। यह एक ऐसी घटना थी जिसने पिछले कई शताब्दियों से परिवार, विवाह व समाज के पितृ सत्तात्मक बन्धन में उलझी स्त्री समाज को अध्यात्म के क्षेत्र में अपनी मुक्ति प्राप्ति का अवसर दिया। यह संयोग आज से लगभग 2550 वर्ष पूर्व हुआ था। भगवान बुद्ध की प्रमुख महिला शिष्या –महापजापती गोतमी,अम्बपाली, उप्पलवणा, पटाचारा, धम्मदिन्ना, सुंदरी नंदा, सोना, सकुला, भद्दा कुंडलकेसा, भद्दा कपिलानी, भद्दाकच्चना, किसागोतमी, सिंघालका माता, खेमाआदि।बौद्धोत्तर काल में भी जब देवप्रिय सम्राट अशोक महान् के द्वारा अपनी पुत्री संघमित्रा को सिंहल द्वीप भेजा जाता है तो सबसे पहले उसे भिख्खुनी के रूप में बुद्ध संघ की दीक्षा दी जाती है। सम्पूर्ण मानव इतिहास में ऐसा कोई दूसरा उदाहरण प्राप्त नहीं होता है जहां एक पिता अपनी पुत्री को मानवता की सेवा में इस प्रकार समर्पित करते हैं।

References

  1. सराओ करमतेज सिंह (2004)., प्राचीन भारतीय बौद्ध धर्म., हिन्दी माध्यम कार्यान्वय निदेशालय दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, पृष्ठ संख्या 60, 87 से 109, 130 से 134.
  2. भदन्त शांतिभिक्षु (1948)., महायान., विश्वभारती ग्रन्थालय कलकत्ता, पृष्ठ संख्या 59 और 60.
  3. मालविका कुमारी विद्यावती (1950)., आदर्श बौद्ध महिलाऐं., भारतीय महाबोधि सभा सारनाथ वाराणसी, पृष्ठ संख्या 1, 5, 6, 12, 35, 85 और 92.
  4. भागवत एन. के. (1956)., थेरी गाथा., बॉम्बे विश्वविद्यालय प्रकाशन बांबे I
  5. उपाध्याय भरत सिंह (1950)., थेरी गाथाएं., सस्ता साहित्य मण्डल, नई दिल्ली I
  6. झासुशान्त (2017)., पूर्णिया के अंग्रेज कलेक्टर की ‘वैलेंटाइन’ कहानी., www.ichowk.in/lite/society/purnia-collector-mr-ducarrel-and-his-love-story/story/1/5760.html, 15/02/2017
  7. स्टेवर्टचार्ल्स (1814)., मिर्जा अबूतालेब खान की एशिया., अफ्रीका और यूरोप यात्रा, भाग 01, अनुवाद सम्पादन द्वितीय संस्करण, लोंगमैन प्रकाशन लंदन, पृष्ठ सं. 268.
  8. सस्ता साहित्य मंडल (1992)., भारत के स्त्री रत्न., भाग 3 दिल्ली, पृष्ठ संख्या 5, 6, 7, 9, 43, 49 और 71.
  9. बापट पुरुषोत्तम विश्वनाथ (2010)., बौद्ध धर्म के 2500 वर्ष., प्रकाशन विभाग नई दिल्ली, भारत सरकार, पृष्ठ संख्या 4, 5, 7, 8, 13, 99, 101 और 105.
  10. द्विवेदी पण्डित गौरीशंकर (1948)., कल्याण., नारी अंक विशेषांक 22 वाँ वर्ष, गीता प्रेस गोरखपुर, 714-733.
  11. धर्मवीर (2005)., थेरीगाथा की स्त्रियां और डॉ. अंबेडकर., वाणी प्रकाशन नई दिल्ली, पृष्ठ संख्या 13 से 21.
  12. भिक्षु धर्मरत्न (2013)., थेरगाथा., गौतम बुक सेन्टर दिल्ली, पृष्ठ संख्या 85.
  13. आंबेडकर बोधिसत्व बाबासाहेब भीमराव (2016)., भगवान बुद्ध और उनका धम्म., सम्यक प्रकाशन नई दिल्ली, पृष्ठ संख्या 181, 201 से 204, 390, 391, 396, 400, 429, 430, 433, 435 और 468.
  14. उपाध्याय आचार्य बलदेव (2017)., बौद्ध दर्शन मीमांसा., चौखम्बा विद्या भवन प्रकाशन, वाराणसी, पृष्ठ संख्या 5,7,18,19 और 344.
  15. मारग्रेट मैक्निकोल (1923)., पोएम्स बाई इन्डियन वूमेन., एसोसिएशन प्रेस वाईएमसीए कोलकाता
  16. लाहा विमल चरण (2007)., वूमेन इन बुद्धिस्ट लिटरेचर., एशियन एजुकेशनल सर्विसेज, पृष्ठ संख्या 1 और 26.
  17. सांकृत्यायन महापंडित राहुल (2022)., विनय पिटक., सम्यक प्रकाशन नई दिल्ली, पृष्ठ संख्या 9, 99 से 132 और 624 से 647.