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महाविद्यालय की छात्राओं के बीच उपभोक्ता शिक्षा के प्रति जागरूकता और व्यवहार का एक अध्ययन

Author Affiliations

  • 1गृह विज्ञान, सहायक आचार्य, राजकीय कला कन्या महाविद्यालय, कोटा, राजस्थान

Res. J. Language and Literature Sci., Volume 10, Issue (2), Pages 12-16, May,19 (2023)

Abstract

स्वतंत्र बाजार की अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता को सम्राट कहा जाता है और वस्तुओं एवं सेवाओं के चयन की स्वतन्त्रता हर उपभोक्ता के पास सुरक्षित है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी आवश्यकता के अनुसार वस्तुओं एवं सेवाओं का चयन और क्रय करता है। बाजार में कुछ विक्रेता ऐसे होते हैं जो हमेशा उपभोक्ता की स्थिति को कमजोर बनाते हैं जिससे उपभोक्ता को वस्तुओं एवं सेवाओं के चयन का उचित अवसर प्राप्त नहीं होता। वर्तमान समय में उपलब्ध वस्तुओं के अनेक प्रकार के विज्ञापन प्रकाशित होते है जो उपभोक्ता को वस्तुओं का चुनाव करने में सहायक होते है कि कौनसी वस्तु उपयोगी है एवं उसका चयन किस प्रकार करना है लेकिन कई बार विज्ञापन में दी गई सूचना भी गलत होती है जिनको उपभोक्ता सही मानकर क्रय कर लेते है जिसका लाभ उत्पादक एवं व्यापारियों को प्राप्त होता है। उपरोक्त अध्ययन का प्रमुख उद्धेश्य छात्राओं को उपभोक्ता शिक्षा,अधिनियम एवं अधिकारों के प्रति जागरूक करना है और यह पता लगाना है कि छात्राएँ अपने ज्ञान का प्रयोग किस प्रकार करती है। वह अपने अधिकारों के प्रति कितनी जागरूक है और उन्हें प्राप्त करने में किस हद तक प्रयास करती है। अध्ययन का प्रमुख आधार मूल्यांकन और विश्लेषण के माध्यम से प्राप्त प्राथमिक स्त्रोतों से आकड़े एकत्र करना है। छात्राओं का मूल्यांकन एवं विश्लेषण कर उनमें उपभोक्ता शिक्षा के प्रति जागरूकता पैदा की गई और उन्हें उपभोक्ता अधिकारों और अधिनियम से होने वाले फायदों से भी अवगत कराया गया जिससे वह अपने अधिकारों का उपयोग सही समय व सही जगह पर कर सकें और स्वयं के साथ - साथ समाज व राष्ट्र में हो रहें उपभोक्ता हनन के रोकथाम में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी सुनिश्चित कर सकें।

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