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Res. J. Language and Literature Sci., Volume 3, Issue (1), Pages 1-10, January (2016)


Research Paper

1. प्राथमिक स्त्तर पर कार्यरत बी0एड0 एवं बी0पी0एड0 प्रशिक्षित अध्यापकों की व्यावसायिक संतुष्टि का तुलनात्मक अध्ययन
महेश कुमार मुछाल’ और सतीश चन्द (2016). Res. J. Language and Literature Sci., 3(1), 1-5.

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प्रस्तुत शोध अध्ययन में बी0पी0एड0 प्रशिक्षण प्राप्त ग्रामीण एवं नगरीय अध्यापकों की व्यवसायिक संतुष्टि का तुलनात्मक अध्ययन किया गया। न्यादर्श के रूप में बी0पी0एड0 प्रशिक्षण प्राप्त ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्र के 150 महिला एवं पुरुष अध्यापकों का चयन यादृच्छिक न्यादर्श चयन विधि के आधार पर किया गया। प्रस्तुत अध्ययन में ग्रामीण एवं नगरीय महिला एवं पुरुष अध्यापक-अध्यापिकाओं की व्यवसायिक संतुष्टि में कोई सार्थक अन्तर नहीं होता है। प्रस्तुत शोध के आधार पर कह सकते हैं कि स्थान विशेष पर रहने एवं महिला पुरुष होने का व्यवसायिक संतुष्टि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
2. भूमि अर्जन संबंधी विधियो की औचित्यता और कृषको के मानव अधिकार
विजयश्री बौद्ध और मो0 नजमी (2016). Res. J. Language and Literature Sci., 3(1), 6-10.

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भारतीय संविधान के अनुच्छेद 31 सम्पत्ति के अधिकार को भाग 3 से निरस्त कर दिया गया है और 44 वें संविधान संषोधन द्वारा भूमि सुधार विधियों को संवैधानिक अधिकार के रूप मे भाग 12 मे जोड दिया गया है। अनुच्छेद 31 क एवं अनुच्छेद 31 ख का मुख्य उद्देष्य भूमि सुधार विधियो को न्यायालय से इस आधार पर चुनौती दिये जाने से बचाना है कि वे संविधान के अनुच्छेद 14 व 19 का अतिक्रमण करते ळें भूमि अर्जन अधिनियम 1894 के अंतर्गत जिस भूमि का अर्जन किया जाता था उसके लिये प्रतिकर दिया जाता था परंतु वह प्रतिकर उचित था या नही इसका निर्धारण उक्त अधिनियम के माध्यम से कर पाना संभव नही था तभी इस विधि मे निरंतर संषोधन की आवष्यकता पडी। और वर्ष 2013 में एक नया अधिनियम भूमि अर्जन, पुर्नवासन और पुर्नव्यवस्थापन मे उचित प्रतिकर और पारदर्षिता का अधिकार अधिनियम 2013 भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया। यदि उचित प्रतिकर न मिले और भूमि अर्जन विधि को संविधान के अनुच्छेद 31 क के अंतर्गत संरक्षण प्रदान किया जावे तो वह मूल अधिकार अनुच्छेद 14 व अनुच्छेद 19 का उल्लंघन होगा। अतः उक्त षोध मे उन बिन्दुओं का उल्लेख किया गया है जिसे किसी भी भूमि का अर्जन करते समय ध्यान मे रखना चाहिये।