भारतीय संगीत में नवपरिवर्तन, अविष्कार और औद्योगीकरण
Author Affiliations
- 1डिपार्टमेंट ऑफ़ म्यूजिक, आर्ट्स कॉलेज मलकापुर, अकोला, महाराष्ट्र, भारत
Res. J. Language and Literature Sci., Volume 8, Issue (2), Pages 32-36, May,19 (2021)
Abstract
भारतीय शास्त्रीय संगीत में नवपरिवर्तन अमीर खुसरो से शुरू होता है । जिसे शास्त्रीय संगीत कहा जाता हैए उसका जन्म लोक संगीत में हुआ था। इस प्रसंग में स्वरों के नामकरण सप्तक में षड्ज और ऋषभए पंचम और धैवत की स्थिति का इतिहास रोचक है। भारतीय साहित्य में श्रुतियों से स्वर का संबंध और स्वर से स्थान का संबंध सैद्धांतिक दृष्टि से विचारणीय है। नवपरिवर्तन और अविष्कार के दृष्टि से देखा जाए तोए विभिन्न देशों के लोक संगीत में समानता से यह भी सिद्ध होता है कि इन देशों के निवासियों में लंबे समय से पारस्परिक संबंध रहा है। आचार्य बृहस्पति के एक लेख में श्हंगरी रूस और मंगोलिया के संगीत पर भारतीय संगीत का प्रभाव दिखाई देता है। भारतीय संगीत के उत्त्कर्ष के लिए यह परमावश्यक हैए कि शास्त्रीय अर्थात तर्कशुद्ध एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण का आश्रय लेकर अपने संगीत में पुन रू प्राण .प्रतिष्ठा करें .आचार्य बृहस्पति। भारतीय संगीत और साहित्य यह मानव के विकास के दो अविभाज्य घटक हैए दोनों का उगम मानव के जन्म के साथ ही है। मनुष्य ने अपनी भाव.भावनाएं स्वरों द्वारा प्रथम व्यक्त की है। भारतीय संगीत यह आधुनिक काल में एक उपजीविका का आधार और आधुनिक औद्योगीकरण के साधनों के साथए भारतीय शास्त्रीय संगीत का दर्जा और अखंडता को कायम रखते हुए व्यवसाय के रूप में प्रस्तुत हो रहा है। भारतीय संगीत में नवपरिवर्तन को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है, प्राचीन काल से भारतीय संगीत का इतिहास देखा जाए तो, संगीत में प्राचीन काल में तीनो स्वरों से (उदात्त अनुदान और स्वरित) शुरुआत होकर आज आधुनिक काल में सात (सप्तसुर) पर आकर रुकी है। आधुनिक काल के संगीतज्ञ संगीत में नये-नये परिवर्तन कर, नए अविष्कार की निर्मिती कर रहे हैं। इन अविष्कारों से नये-नये वाद्यों की, नये-नये नृत्य प्रकारों की और नये-नये गायन के मिश्रित (फ्यूजन) प्रकारों की निर्मित हो रही है, इन नए प्रकारों ने वाद्य निर्मिती उद्योग और संगीत, नृत्य और वाद्य वादन क्लासेस के रूप में उभर रहे हैं।
References
- गर्ग लक्ष्मीनारायण (२००६)., संगीत निबन्धावली., षस्टम आवृत्ति, संगीत कार्यालय हाथरस, इंडिया, 45-52. ISSN: 0970-7824.
- शर्मा रामविलास (२०१०)., संगीत का इतिहास और भारतीय नवजागरण कसी समस्याएँ., प्रथम संस्क्रण, वाणी प्रकाशन– दिल्ली, इंडिया, 45-52. ISSN: 0970-7824.
- देशपांडे पं. स. भ. (२००७)., संगीत अलंकार., प्रथम संस्करण, अखिल भारतीय गान्धर्व महाविद्यालय मण्डल प्रकाशन मिराज, इंडिया, pp 1-159 ISSN: 0036-4320.
- पाठक पण्डित और जगदीश नारायण (२००४)., संगीत निबन्ध माला., संशोधित संस्करण, पाठक पब्लिकेशन प्रकाशन, इलाहबाद, इंडिया, pp 1-142.
- श्रीवास्तव हरिश्चंद्र (१९६२)., संगीत निबंध संग्रह., प्रथम संस्करण जुलाई संगीत सदन प्रकाशन- इलाहाबाद, इंडिया, pp 19 ISSN: 0970-7824.
- वाजपेयी सुनृत कुमार (१९९६)., पाश्चात्य सौंदर्यशास्त्र का इतिहास., नमन प्रकाशन-नई दिल्ली, इंडिया, pp 331 ISBN: 81-8129-078-X.
- चौधरी सुभद्रा (२०२०)., ख्याल के विकास की पृष्ठभूमि और ख्याल- शैली के पुनरुत्थान के उपाय., नमन प्रकाशन -नई दिल्ली, इंडिया, pp 1-130.
- माईणकर पंडित सुधीर (२०२०)., संगीत कला विहार,